Click here for Myspace Layouts

अक्तूबर 28, 2010

प्रेम

अक्सर लोग पूछते हैं कि सच्चा प्यार क्या होता है? मेरी तरफ से कोशिश है कि मैं लोगो को प्रेम का सच्चा अर्थ बताने कि कोशिश कर सकूँ|तो पेश है ये पोस्ट महान लेखक खलील जिब्रान कि कलम से और साथ में मेरी तरफ से मेरे जज़्बात ........उम्मीद है शायद प्रेम का वास्तविक अर्थ समझ में आये|


प्रेम जब भी तुम्हे पुकारे उसके पीछे चल पड़ो, हालाँकि उसके रास्ते बहुत मुश्किल और काँटो भरे हैं| जब प्रेम तुमसे कुछ कहे तो उस पर यकीन करो, हो सकता है उसकी बातें तुम्हारे सपनो को चूर-चूर भी कर दे, जैसे बर्फीली हवा सारे बगीचे को उजाड़ देती है |


प्रेम एक ओर अगर तुम्हे राजमुकुट पहना सकता है, तो दूसरी ओर सलीब पर भी चढ़ा सकता है अगर वो तुम्हारे विस्तार के लिए है तो तुम्हे तराशने के लिए भी है| प्रेम जिस तरह तुम्हारी ऊँचाइयों पर चढ़कर धूप में लहराती हुई तुम्हारी कोमल टहनियों को सहलाता है, वहीं दूसरी तरफ तुम्हारी जड़ो में उतरकर ज़मीन से जुड़े तुम्हारे अस्तित्व को झिंझोड़कर ढीला कर देता है|


प्रेम तुम्हारे साथ इतना कुछ करेगा कि तुम अपने दिल सारे राज़ों को जान जाओ|पर अगर तुम्हे इन बातों से डर लगता है और तुम केवल प्रेम कि शान्ति और प्रेम के आनन्द को पाना चाहते हो तो तुम प्रेम के इस बगीचे के बाहर निकल जाओ और चले जाओ किसी ऐसी जगह पर जहाँ तुम हँसो भी तो तुम्हारी सम्पूर्ण खिलखिलाहट न दिखे और अगर रोओ तो तुम्हारे आँसू न बह सकें|


" प्रेम केवल खुद को ही देता है और खुद से ही पाता है| प्रेम किसी पर अधिकार नहीं जमाता और न ही किसी के अधिकार को स्वीकार करता है| प्रेम के लिए तो प्रेम का होना ही बहुत है|" कभी ये मत सोचो कि तुम प्रेम को रास्ता दिखा रहे हो या दिखा सकते हो, क्योंकि अगर तुम सच्चे हो तो प्रेम खुद तुम्हे रास्ता दिखायेगा|


प्रेम के अलावा प्रेम कि और कोई इच्छा नहीं होती पर अगर तुम प्रेम करो और तुमसे इच्छा किये बिना न रहा जाए तो यही इच्छा करो कि तुम पिघल जाओ प्रेम के रस में और प्रेम के इस पवित्र झरने में बहने लगो|प्रेम के रस में डुबो तो ऐसे कि जब सुबह तुम जागो तो प्रेम का एक दिन और पा जाने का एहसान मानो,और फिर रात में जब तुम सोने जाओ तो दिल में अपने प्रियतम के लिए प्रार्थना हो और होंठो पर उसकी ख़ुशी के लिए गीत.
-----------------------------------------------------------
मेरे जज़्बात-
यही प्रेम का वास्तविक अर्थ है, प्रेम तभी पूरा होता जब वो सच पर आधारित होता है| प्रेम में निंदा, द्वेष, इर्ष्या, झूठ, फरेब के लिए कोई जगह नहीं और सच्चे अर्थो में जब ये सब मिट जाते हैं तब प्रेम का शिलान्यास होता है, प्रेम विश्वास पर टिकता है और विश्वास तभी होता है जब ये भावनाये दिल से मिट जाती है| 
                             

अक्तूबर 13, 2010

मृत्यु


साँस का रुक जाना भी उसके सिवा क्या है, कि प्राण-वायु को अशांत ज्वार-भाटों से मुक्ति मिल जाए , कि वह ऊपर उठे विस्तार पाए और निर्बाध होकर परमात्मा से जा मिले |
                                      - खलील जिब्रान 

अक्तूबर 05, 2010

कर्म


जीवन अंधकारमय है, यदि आकांक्षा न हो |
सारी अकांछायें अंधी हैं, यदि ज्ञान न हो | 
सारा ज्ञान व्यर्थ है, यदि कर्म न हो | 
सारा कर्म खोखला है, यदि प्रेम न हो |
प्रेम को सर्वस्य बना देना ही कर्म है |

                                        - खलील जिब्रान