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अक्तूबर 29, 2011

सुख और दुःख


तुम्हारा सुख तुम्हारे दुःख का ही बेनकाब चेहरा है | दुःख जितनी गहराई तक तुम्हारे मन को तराशेगा, उतना ही सुख उसमे समा सकेगा | खुशियों के पलों में अपने दिल कि गहराइयों में झाँकों और तुम पाओगे कि जिस कारण ने तुम्हे दुःख पहुँचाया था, वही इस वक़्त तुम्हे सुख पहुँचा रहा है और शोक के पलों में फिर से अपने दिल में झाँकों और तुम पाओगे कि वास्तव में तुम उसी चीज़ के लिए रो रहे हो, जो कभी तुम्हारी ख़ुशी कि वजह रही है |

                                                                     - खलील जिब्रान

अक्तूबर 14, 2011

संतान


तुम्हारी संतान तुम्हारे माध्यम से उत्पन्न हुई है, परन्तु तुमसे नहीं | तुम उसे अपना प्यार तो दे सकते हो, किन्तु विचार नहीं क्योंकि ये अपने ही विचार रखते हैं | तुम उनके समान बनने कि कोशिश तो कर सकते हो परन्तु उन्हें अपने समान बनाने कि लालसा मत रखो |
                                                                   
                                                                                 -खलील जिब्रान

         

अक्तूबर 01, 2011

आत्मज्ञान


तुम्हारे हृदय का मौन तुम्हारे दिनों और रातों का ज्ञाता है | जिसे तुमने हमेशा से अपने विचारों में जाना है| उसे तुम शब्दों में भी जानना चाहते हो, आत्मज्ञान एक समुद्र है, असीम और आगाध...........
                                                      - खलील जिब्रान