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जनवरी 17, 2014

प्रेम



जो मृत्यु छीन लेती है 
कोई प्राणी लौटा नहीं सकता,

जिसे स्वर्ग ने आशीर्वाद दिया है
कोई प्राणी दंड नहीं दे सकता,

जिसे प्रेम ने एक कर दिया है 
कोई प्राणी अलग नहीं कर सकता,

जो नियति ने निश्चित कर दिया है
कोई प्राणी बदल नहीं सकता, 

- ख़लील ज़िब्रान 


नवंबर 13, 2013

विवाह



एक दूसरे का प्याला तो भरो, लेकिन एक ही प्याले से मत पियो । साथ नाचो, गाओ पर फिर भी अपनी निकटता के बीच कहीं-कहीं अन्तराल भी छूट जाने दो| एक दूसरे से प्रेम तो करो, किन्तु प्रेम को पाँव की ज़ंजीर मत बनाओ | एक जगह पर खड़े तो रहो, किन्तु बहुत अधिक सट मत जाओ । जैसे वीणा के तार एक ही राग में कंपित होते हुए भी अलग-अलग हैं । हृदयों को अर्पित करो लेकिन एक दूसरे के सरंक्षण में मत रखो | 
                                                   
   - खलील जिब्रान

सितंबर 30, 2013

चेहरे



मैंने हजारों आकृति वाला एक चेहरा देखा है और ऐसा चेहरा भी देखा है जिसका एक ही रुख था, जैसे वह साँचे में ढला हो ।

मैंने एक चेहरा देखा है जिसकी चमक की तह में मैंने उसके भीतर की  कुरूपता  पाई थी, और ऐसा चेहरा देखा है जिसकी खूबसूरती देखने के लिए मुझे उसकी दमक का परदा उठाना पड़ा था ।

मैंने एक बुढा चेहरा देखा है, जो शून्यता की रेखाओं से परिपूर्ण था और मैंने ऐसा चिकना चेहरा भी देखा है, जिस पर सब चीजें खुदी हुई थीं ।

मैं इन सब चेहरों से अच्छी तरह वाकिफ हूँ, क्योंकि मैं उन्हें उस जाल के भीतर से देखता हूँ जो मेरी आँखें बुनती है और उनके असली रूप को पहचान लेता हूँ ।

- खलील जिब्रान 



अगस्त 24, 2013

शिखर



हम सभी अपनी अभिलाषाओं के उच्चतम शिखर के आरोही हैं । यदि एक साथी हमारे साजो-सामान को चुरा लेता है तो हमें उस पर दया व्यक्त करनी चाहिए, क्योंकि हमें तो उसके कारण भार अनुभव होता था।

यह चोरी का भार उसके लिए तो चढ़ना दूभर कर देगा तथा उसका मार्ग लम्बा कर देगा । और यदि तुम उसे हाँफता हुआ देखो तो विनम्र भाव से उसे दो कदम सहायता पहुँचा दो । यह तुम्हारी चाल और भी त्वरित कर देगा ।

- खलील जिब्रान    



जुलाई 18, 2013

वास्तविकता



दूसरे व्यक्ति की वास्तविकता उसमें नहीं है, जो कुछ वह तुम पर व्यक्त करता है, बल्कि उसमें है जो कुछ वह तुम पर व्यक्त नहीं कर पाता।

इसलिए यदि तुम उसे जानना चाहते हो तो उसकी उन बातों को न सुनो, जिन्हें वह सुनाता है अपितु उन बातों को समझो, जिन्हें वह नहीं कह पाता।

- खलील जिब्रान