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मार्च 15, 2012

कीमती


वे मुझे पागल समझते हैं, क्योंकि मैं अपने कीमती दिनों को चंद सोने के टुकड़ों के लिए नहीं बेचना चाहता ।और मैं उन्हें पागल समझता हूँ की उन्होंने समय को भी सोने से खरीदना चाहा।

- खलील जिब्रान 



19 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

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  2. बहुत गहन बात छुपी हुई है... सच, समय से अनमोल क्या है!

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  3. sahi baat..par bhaag rahi hae duniya chang sone ke sikko ke liye, vaqt hi nahi raha apno ke liye

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  4. बेनामीमार्च 15, 2012

    आप सभी लोगों का बहुत बहुत शुक्रिया।

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  5. इमरान, यह बात केवल खलील जिब्रान ने ही नहीं कही है जिसने भी सत्य को जाना है वह इसे सोने क्या हीरों से भी कीमती जानता है..और उनको पागल जो इसकी कीमत नहीं जानते, मरते हुए सिकन्दर ने कहा था मेरा खजाना ले लो पर चंद लम्हे मुझे दे दो डॉक्टर जो उसका इलाज कर रहे थे मौन थे, एक पल भी धन से खरीदा नहीं जा सकता...
    बहुत सुंदर विचार है और संतों व सामान्य जन के भेद को स्पष्ट करता है.

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    1. बेनामीमार्च 16, 2012

      बिल्कुल सही कहा है अनीता जी आपने.....एक पल भी नहीं ख़रीदा जा सकता धन तो साधन मात्र है भौतिक वस्तुओं के लिए......शुक्रिया आपका।

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  6. बेनामीमार्च 16, 2012

    Thanks you so much Yashwant.

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  7. बेनामीमार्च 16, 2012

    आप सभी लोगों का बहुत बहुत आभार।

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  8. सुंदर और प्रेरणादायी विचार.

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  9. बेनामीमार्च 20, 2012

    आप सभी लोगों का तहेदिल से शुक्रिया यहाँ तक आने का और अपनी कीमती राय देने का।

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  10. सुन्दर विचार...प्रेरक प्रस्तुति !

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  11. बहुत ही अच्छी प्रस्तुति । धन्यवाद ।

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...