खलील जिब्रान विश्व के महान दार्शनिक,लेखक, चित्रकार और कवि हैं| उनकी रचनायें सारी दुनिया के लोगों के लिए एक अमूल्य धरोहर है|अंधविश्वासों और आडम्बरों के सख्त विरोधी खलील जिब्रान एक महान विचारक थे|इस ब्लॉग के ज़रिये मेरी एक छोटी सी कोशिश की मैं उनके अमूल्य विचारों को सरल भाषा में लोगों के सामने रख सकूँ ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उनको पढ़ और समझ सकें|
...बिल्कुल वैसे ही जैसे हम परमात्मा रूपी सागर और आत्मा रूपी तट पर मन,बुद्धि के चिह्न छोड़ते जा रहे है....जिन्हें वक्त की हवा और लहरें पलक झपकते मिटा देंगी...
जवाब देंहटाएं@ अनीता जी बिलकुल सही कहा आपने|
जवाब देंहटाएंसागर और तट हमेशा रहेंगे ,दोनों दिखने में अलग है पर वास्तव में एक दूसरे में समाहित है ..तट के फैलने से सागर कम नहीं होता .सागर जब फैलता है तो तट भीगते ज़रूर है........
जवाब देंहटाएं@ अंजू जी आपकी बात से सहमत हूँ|
जवाब देंहटाएंप्रलय के वर्णन से घबराएँ नहीं क्योंकि जब होगी तब कोई रहेगा ही नहीं ! नया गेटअप स्वागतयोग्य है.
जवाब देंहटाएंbahut ache vichar.... sath hi bilkul satik....
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