Click here for Myspace Layouts

अप्रैल 18, 2011

गहराई


जब प्रभु ने मुझे एक पाषाण-खण्ड की तरह संसार की इस अदभुत झील में फेंका, तो मैंने असंख्य वृत्ताकार लहरों के द्वारा इसकी शांत सतह को विक्षुब्ध कर दिया | किन्तु ज्यों-ज्यों मैं गहराई में बैठता गया, मैं शांत होता गया |

                                                         - खलील जिब्रान