संसार के श्रेष्ठ चिंतक महाकवि के रूप में विश्व के हर कोने में ख्याति प्राप्त करने वाले, देश-विदेश भ्रमण करने वाले खलील जिब्रान अरबी, अंगरेजी फारसी के ज्ञाता, दार्शनिक और चित्रकार भी थे। उन्हें अपने चिंतन के कारण समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होने से जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था।
खलील जिब्रान 6 जनवरी 1883 को लेबनान के 'बथरी' नगर में एक संपन्न परिवार में पैदा हुए। 12 वर्ष की आयु में ही माता-पिता के साथ बेल्जियम, फ्रांस, अमेरिका आदि देशों में भ्रमण करते हुए 1912 में अमेरिका के न्यूयॉर्क में स्थायी रूप से रहने लगे थे।
वे अपने विचार जो उच्च कोटि के सुभाषित या कहावत रूप में होते थे, उन्हें कागज के टुकड़ों, थिएटर के कार्यक्रम के कागजों, सिगरेट की डिब्बियों के गत्तों तथा फटे हुए लिफाफों पर लिखकर रख देते थे। उनकी सेक्रेटरी श्रीमती बारबरा यंग को उन्हें इकट्ठी कर प्रकाशित करवाने का श्रेय जाता है। उन्हें हर बात या कुछ कहने के पूर्व एक या दो वाक्य सूत्र रूप में सूक्ति कहने की आदत थी। वे कहते थे जिन विचारों को मैंने सूक्तियों में बंद किया है, मुझे अपने कार्यों से उनको स्वतंत्र करना है। 1926 में उनकी पुस्तक जिसे वे कहावतों की पुस्तिका कहते थे, प्रकाशित हुई थी। इन कहावतों में गहराई, विशालता और समयहीनता जैसी बातों पर गंभीर चिंतन मौजूद है।
उनमें अद्भुत कल्पना शक्ति थी। वे अपने विचारों के कारण कविवर रवीन्द्रनाथ टैगोर के समकक्ष ही स्थापित होते थे। उनकी रचनाएं 22 से अधिक भाषाओं में देश-विदेश में तथा हिन्दी, गुजराती, मराठी, उर्दू में अनुवादित हो चुकी हैं। इनमें उर्दू तथा मराठी में सबसे अधिक अनुवाद प्राप्त होते हैं। उनके चित्रों की प्रदर्शनी भी कई देशों में लगाई गई, जिसकी सभी ने मुक्तकंठ से प्रशंसा की। वे ईसा के अनुयायी होकर भी पादरियों और अंधविश्वास के कट्टर विरोधी रहे। देश से निष्कासन के बाद भी अपनी देशभक्ति के कारण अपने देश हेतु सतत लिखते रहे। 48 वर्ष की आयु में कार दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल होकर 10 अप्रैल 1931 को उनका न्यूयॉर्क में ही देहांत हो गया। उनके निधन के बाद हजारों लोग उनके अंतिम दर्शनों को आते रहे। बाद में उन्हें अपनी जन्मभूमि के गिरजाघर में दफनाया गया।
** हिन्दी विकिपीडिया से साभार **
बेहतरीन प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंसुमन सिन्हा जी का एक परिचय ... मेरे ब्लॉग पर
खलील जिब्रान साहब के बारे मे जानकर अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंसादर
इमरान.....
जवाब देंहटाएंइतनी अच्छी जानकारी देने के लिए बधाई....
हौसला अफज़ाई का शुक्रिया आप लोगों का ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रस्तुति ...
जवाब देंहटाएंआभार...
आपकी किसी पोस्ट की चर्चा है नयी पुरानी हलचल पर कल शनिवार ११-२-२०१२ को। कृपया पधारें और अपने अनमोल विचार ज़रूर दें।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया अनुपमा जी आपका जिब्रान साहब को हलचल पर जगह देने का ।
हटाएंअच्छी पोस्ट
जवाब देंहटाएंशुक्रिया...
जवाब देंहटाएंथोड़े में सब कुछ जान लिया खलील जिब्रान साहब के बारे में..
keep up the good work.
खलील जिब्रान जी एक महान दार्शनिक थे ..मैने उनकी कुछ पुस्तक पढ़ी है..उनकी ये पँक्तिया मुझे बहुत अच्छी लगती है..'खूब कियामैंने दुनिया से प्रेम और दुनियाने मुझ से तभी तोमेरी मुस्कराहटें उनके हॊठों में थीं और उनके आँसू मेरे आँखों में.' .[खलील जिबरान]
जवाब देंहटाएंआप सभी लोगों का बहुत बहुत शुक्रिया ।
जवाब देंहटाएंखलील जिब्रान की बात ही कुछ और है
जवाब देंहटाएंखलील जिबरान जी के बारे में जानकार अच्छा लगा,...आभार
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति
MY NEW POST ...कामयाबी...
काजल जी और धीरेन्द्र जी आपका शुक्रिया|
जवाब देंहटाएंखलील जिब्रान के बारे में जानकारी मिली...बहुत सहज और सरल भाषा में आपने परिचय दिया जो बहुत अच्छा लगा पढ़ने और जानने में ..आपका धन्यवाद
जवाब देंहटाएंशुक्रिया नूतन जी ।
हटाएंखलील जिब्रान एक द्रष्टा थे, वे पादरियों के किताबी ज्ञान से बहुत कुछ ज्यादा जानते थे ऐसे लोग ही संसार को जीवन का रहस्य समझा पाते हैं...बहुत सार्थक और जानकारी भरी पोस्ट!
जवाब देंहटाएंबिकुल सही कहा आपने अनीता जी ।
हटाएंबहुत सुंदर ...!!
जवाब देंहटाएंवाह!!!!!बहुत अच्छी प्रस्तुति,परिचय कराने के लिए आभार,...
जवाब देंहटाएंMY NEW POST ...सम्बोधन...
शुक्रिया वसुंधरा जी और धीरेन्द्र जी ।
जवाब देंहटाएं