मैं मौत के बाद भी जीऊँगा, और मैं तुम्हारे कानों में गाऊँगा,
मैं तुम्हारे आसन पर बैठूँगा हालाँकि बिना शरीर के
और मैं तुम्हारे साथ तुम्हारे खेतों में जाऊँगा
एक अदृश्य आत्मा बनकर,
मैं तुम्हारे पास तुम्हारी आग के सहारे बैठूँगा
एक अदृश्य अतिथि बनकर,
मौत तो कुछ भी नहीं बदलती, परदे के अलावा
जो की हमारे चेहरे पर पड़ा रहता है,
- खलील जिब्रान