मैंने सात बार अपनी आत्मा से घृणा की -
पहली बार, जब मैंने उसे उच्चता प्राप्ति की अभिलाषा में हतोत्साह पाया|
दूसरी बार, जब मैंने उसे अपंग के सामने लंगड़ाते पाया|
तीसरी बार, जब उसे सरल या कठिन का चुनाव करना था और उसने सरल को चुना |
चौथी बार, जब उसने एक पाप किया और यह सोचकर संतोष कर लिया की अन्य भी यह पाप करते हैं|
पाँचवी बार, जबकि कमज़ोरी के प्रति उसने धैर्य दिखाया और अपनी इस धैर्यशीलता को शक्ति का प्रतीक बताया|
छठी बार, जबकि उसने एक चेहरे की बदसूरती पर घृणा एक नज़र डाली और यह न समझा की यह उसी का एक रूप है|
और सांतवी बार तब, जबकि उसने प्रशंसा का एक गीत गाया और इसे अपना 'गुण' व्यक्त किया|
:)...ye ghruna hona bada jaruri hai...na hui to insaan insaan nahi rahta
जवाब देंहटाएंbahut hi umda ,khaleel jibraan ki baatein sirf baate hi nhi zindgi ka gehan chintan hai ,....ek aisa nzriya jo .....raah dikhaye.....
जवाब देंहटाएंखुद को पा रहा हूं इस रचना में...
जवाब देंहटाएंगज़ब के सत्य से रु-ब-रु करवाते भाव हैं…………शानदार आत्मविश्लेषण करने मे सहायक्।
जवाब देंहटाएंएक अलग तरह का चिंतन।
जवाब देंहटाएंसादर
महान व्यक्ति के महान विचार...प्रस्तुति के लिए बधाई...
जवाब देंहटाएंनीरज
shat prtishat stay.....
जवाब देंहटाएंइन्ही सब कारणों से तो आत्मा बेचैन रहती है।
जवाब देंहटाएंबहुत गंभीर चिंतन है, इमरान भाई.... परिपक्व भी...
जवाब देंहटाएंसादर.
sach se bhagne ki insaan ki fitrat,
जवाब देंहटाएंsamajh aa jaye to khud se nafrat...
Very nice and true :(
आप सभी लागों का बहुत बहुत शुक्रिया यहाँ तक आने का और पोस्ट पसंद करने का|
जवाब देंहटाएंइमरान भाई....
जवाब देंहटाएंइतना आसान नहीं है....
सोचना पड़ेगा और अपने अन्दर झांकना पड़ेगा कुछ भी लिखने से पहले !!
बहुत ही गहन विचार ... आभार इस उत्कृष्ट प्रस्तुति के लिए
जवाब देंहटाएंवाह...
जवाब देंहटाएंवाकई बहुत सार्थक बातें....
अपने कर्मों का लेखा जोखा हमें खुद ही रखना होता है...सुधार तभी संभव है..
अंतर अनुशासन ही क्षुद्र जीवन को विराट अस्तित्व की ओर लिए चलता है . खलील जिब्रान उस पथ के प्रदर्शक हैं . आपका आभार फिर से इन वचनों को अपने निकष पर उताड़ने का अवसर देने के लिए..
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया आप सभी का |
जवाब देंहटाएंमैंने आत्मा से घृणा की, इसमें 'मैं' कौन है, हम तो आत्मा ही हैं न, यह सही है कि उत्साह ही जीवन है..और भी सभी विचार उत्तम हैं.
जवाब देंहटाएंअंतस में झाँक कर सोचने पर विवस करते हैं ये विचार !
जवाब देंहटाएंआभार !
एकदम विचारणीय बाते है...
जवाब देंहटाएंस्वयं के व्यक्तित्व परिवर्तन के लिये
इसे खुद में तलाशना बहूत जरुरी है ..
बेहतरीन पोस्ट ..
बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर रहे हैं ये विचार ...सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमहापुरुषों बहुत सुंदर विचार,चिंतन करने योग्य प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंnew post--काव्यान्जलि --हमदर्द-