Click here for Myspace Layouts

दिसंबर 26, 2010

खान - पान


काश तुम पृथ्वी की सुवास पर निर्भर और अमरबेल की भाँति केवल किरणों पर जीवित रह सकते|

लेकिन क्योंकि पेट भरने के लिए तुम्हे हिंसा करना और प्यास बुझाने के लिए नवजात बछड़े से उसकी माँ का दूध लूटना ही पड़ता है तो वह कार्य प्रभु की पूजा के रूप में करो , अपने थाल को बलिवेदी समझो|

किसी जीव को हलाल करते समय उससे अपने मन में कहो-

" जो शक्ति तुम्हारा वध कर रही है, उसी ने मुझे भी मार रखा है और मुझे भी खाया जायेगा, क्योंकि जिस कानून ने तुम्हें मेरे हाथों में सौंपा है, वो मुझे और भी शक्तिशाली हाथों में सौपेंगा|"

                                                                        - खलील जिब्रान

दिसंबर 09, 2010

वस्त्र


तुम्हारे वस्त्र तुम्हारे बहुत से सुन्दर अंश को छिपा लेते हैं, लेकिन असुन्दर  को नहीं| हालाँकि तुम वस्त्रों में अपनी गुप्तता की आज़ादी खोजते हो, लेकिन तुमको प्राप्त होते हैं बंधन और बाधा|

काश धूप और वायु से तुम्हारा मिलन तुम्हारी त्वचा द्वारा अधिक होता और वस्त्रों द्वारा कम| क्योंकि जीवन के प्राण सूर्य के प्रकाश में हैं और जीवन के हाथ हवा के झोंकों में हैं|

भूलो मत की मलिन मन की आँखों के सम्मुख लज्जा ढाल के सामान है| और जब मलिन मन ही न होंगे, तब लज्जा केवल एक बेडी और विकृत करने वाली वस्तु के सिवा क्या होगी?

और भूलो मत की धरती तुम्हारी नंगी पग-तलियों का स्पर्श पाकर प्रसन्न होती है और पवन तुम्हारे केशों से अठखेलियाँ करना चाहता है|

नवंबर 21, 2010

घर



तुम्हारा घर जहाज़ का लंगर न बने, बल्कि मस्तूल बने| तुम दरवाज़े में से गुज़र सको, इसके लिए तुम अपने पंख समेटो मत और कहीं छत से टकरा न जाएँ इसलिए सिरों को झुकाओ मत, कहीं दीवारें दरककर गिर न पड़े, इसलिए साँस लेने से डरो मत|

तुम उन मकबरों में मत रहो जो मुर्दों ने जीवितों के लिए बनाये हैं| भले ही तुम्हारा घर भव्य और सुन्दर न हो, लेकिन तुम्हारा घर न तो तुम्हारे राज़ों को छुपाये और न तुम्हारी तृष्णाओं का आश्रय हो|

क्योंकि वह जो तुममे अनंत है, आकाश के महल में रहता है, जिसका फाटक प्रभात का कोहरा है और जिसकी खिड़कियाँ रात की रागनियाँ और खामोशियाँ है |
                                                                                       -खलील जिब्रान

                              

अक्तूबर 28, 2010

प्रेम

अक्सर लोग पूछते हैं कि सच्चा प्यार क्या होता है? मेरी तरफ से कोशिश है कि मैं लोगो को प्रेम का सच्चा अर्थ बताने कि कोशिश कर सकूँ|तो पेश है ये पोस्ट महान लेखक खलील जिब्रान कि कलम से और साथ में मेरी तरफ से मेरे जज़्बात ........उम्मीद है शायद प्रेम का वास्तविक अर्थ समझ में आये|


प्रेम जब भी तुम्हे पुकारे उसके पीछे चल पड़ो, हालाँकि उसके रास्ते बहुत मुश्किल और काँटो भरे हैं| जब प्रेम तुमसे कुछ कहे तो उस पर यकीन करो, हो सकता है उसकी बातें तुम्हारे सपनो को चूर-चूर भी कर दे, जैसे बर्फीली हवा सारे बगीचे को उजाड़ देती है |


प्रेम एक ओर अगर तुम्हे राजमुकुट पहना सकता है, तो दूसरी ओर सलीब पर भी चढ़ा सकता है अगर वो तुम्हारे विस्तार के लिए है तो तुम्हे तराशने के लिए भी है| प्रेम जिस तरह तुम्हारी ऊँचाइयों पर चढ़कर धूप में लहराती हुई तुम्हारी कोमल टहनियों को सहलाता है, वहीं दूसरी तरफ तुम्हारी जड़ो में उतरकर ज़मीन से जुड़े तुम्हारे अस्तित्व को झिंझोड़कर ढीला कर देता है|


प्रेम तुम्हारे साथ इतना कुछ करेगा कि तुम अपने दिल सारे राज़ों को जान जाओ|पर अगर तुम्हे इन बातों से डर लगता है और तुम केवल प्रेम कि शान्ति और प्रेम के आनन्द को पाना चाहते हो तो तुम प्रेम के इस बगीचे के बाहर निकल जाओ और चले जाओ किसी ऐसी जगह पर जहाँ तुम हँसो भी तो तुम्हारी सम्पूर्ण खिलखिलाहट न दिखे और अगर रोओ तो तुम्हारे आँसू न बह सकें|


" प्रेम केवल खुद को ही देता है और खुद से ही पाता है| प्रेम किसी पर अधिकार नहीं जमाता और न ही किसी के अधिकार को स्वीकार करता है| प्रेम के लिए तो प्रेम का होना ही बहुत है|" कभी ये मत सोचो कि तुम प्रेम को रास्ता दिखा रहे हो या दिखा सकते हो, क्योंकि अगर तुम सच्चे हो तो प्रेम खुद तुम्हे रास्ता दिखायेगा|


प्रेम के अलावा प्रेम कि और कोई इच्छा नहीं होती पर अगर तुम प्रेम करो और तुमसे इच्छा किये बिना न रहा जाए तो यही इच्छा करो कि तुम पिघल जाओ प्रेम के रस में और प्रेम के इस पवित्र झरने में बहने लगो|प्रेम के रस में डुबो तो ऐसे कि जब सुबह तुम जागो तो प्रेम का एक दिन और पा जाने का एहसान मानो,और फिर रात में जब तुम सोने जाओ तो दिल में अपने प्रियतम के लिए प्रार्थना हो और होंठो पर उसकी ख़ुशी के लिए गीत.
-----------------------------------------------------------
मेरे जज़्बात-
यही प्रेम का वास्तविक अर्थ है, प्रेम तभी पूरा होता जब वो सच पर आधारित होता है| प्रेम में निंदा, द्वेष, इर्ष्या, झूठ, फरेब के लिए कोई जगह नहीं और सच्चे अर्थो में जब ये सब मिट जाते हैं तब प्रेम का शिलान्यास होता है, प्रेम विश्वास पर टिकता है और विश्वास तभी होता है जब ये भावनाये दिल से मिट जाती है| 
                             

अक्तूबर 13, 2010

मृत्यु


साँस का रुक जाना भी उसके सिवा क्या है, कि प्राण-वायु को अशांत ज्वार-भाटों से मुक्ति मिल जाए , कि वह ऊपर उठे विस्तार पाए और निर्बाध होकर परमात्मा से जा मिले |
                                      - खलील जिब्रान 

अक्तूबर 05, 2010

कर्म


जीवन अंधकारमय है, यदि आकांक्षा न हो |
सारी अकांछायें अंधी हैं, यदि ज्ञान न हो | 
सारा ज्ञान व्यर्थ है, यदि कर्म न हो | 
सारा कर्म खोखला है, यदि प्रेम न हो |
प्रेम को सर्वस्य बना देना ही कर्म है |

                                        - खलील जिब्रान

सितंबर 07, 2010

काल



बीता हुआ कल तो आज कि स्मृति-मात्र है और आने वाला कल है आज का स्वप्न| वर्तमान से कह दो कि वह स्मृति-विभोर होकर अतीत का आलिंगन करे और प्रेमातुर होकर भविष्य का |
                                          - खलील जिब्रान 

अगस्त 31, 2010

बात-चीत

तुम तभी बात करते हो जब अपने विचारों के साथ शांति नहीं रख पाते| क्योंकि विचार खुले आकाश में उड़ने वाला पंछी है, जो शब्दों के पिंजरे में अपने पंख तो अवश्य खोलता है, किन्तु उड़ान नहीं भर सकता| एकाकीपन का मौन आँखों को नंगे यथार्थ का दर्शन कराता है, जिससे लोग कतराना चाहते हैं|


                                                - खलील जिब्रान