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अगस्त 31, 2010

बात-चीत

तुम तभी बात करते हो जब अपने विचारों के साथ शांति नहीं रख पाते| क्योंकि विचार खुले आकाश में उड़ने वाला पंछी है, जो शब्दों के पिंजरे में अपने पंख तो अवश्य खोलता है, किन्तु उड़ान नहीं भर सकता| एकाकीपन का मौन आँखों को नंगे यथार्थ का दर्शन कराता है, जिससे लोग कतराना चाहते हैं|


                                                - खलील जिब्रान  

7 टिप्‍पणियां:

  1. सत्य से सामना सिर्फ मौन में ही हो सकता है, मौन की कीमत खलील जैसा कोई मुनि ही जान सकता है!

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  2. कल 18/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

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  3. सच्ची बात...बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...