तुम तभी बात करते हो जब अपने विचारों के साथ शांति नहीं रख पाते| क्योंकि विचार खुले आकाश में उड़ने वाला पंछी है, जो शब्दों के पिंजरे में अपने पंख तो अवश्य खोलता है, किन्तु उड़ान नहीं भर सकता| एकाकीपन का मौन आँखों को नंगे यथार्थ का दर्शन कराता है, जिससे लोग कतराना चाहते हैं|
- खलील जिब्रान
bilkul sahi kaha..............aabhaar.
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपका
जवाब देंहटाएंसत्य से सामना सिर्फ मौन में ही हो सकता है, मौन की कीमत खलील जैसा कोई मुनि ही जान सकता है!
जवाब देंहटाएंकल 18/11/2011को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
जवाब देंहटाएंधन्यवाद!
मनन करने वाली बात!
जवाब देंहटाएंसच्ची बात...बहुत सुन्दर प्रस्तुति..!
जवाब देंहटाएंसटीक ... अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं