तुम तभी बात करते हो जब अपने विचारों के साथ शांति नहीं रख पाते| क्योंकि विचार खुले आकाश में उड़ने वाला पंछी है, जो शब्दों के पिंजरे में अपने पंख तो अवश्य खोलता है, किन्तु उड़ान नहीं भर सकता| एकाकीपन का मौन आँखों को नंगे यथार्थ का दर्शन कराता है, जिससे लोग कतराना चाहते हैं|
- खलील जिब्रान