खलील जिब्रान विश्व के महान दार्शनिक,लेखक, चित्रकार और कवि हैं| उनकी रचनायें सारी दुनिया के लोगों के लिए एक अमूल्य धरोहर है|अंधविश्वासों और आडम्बरों के सख्त विरोधी खलील जिब्रान एक महान विचारक थे|इस ब्लॉग के ज़रिये मेरी एक छोटी सी कोशिश की मैं उनके अमूल्य विचारों को सरल भाषा में लोगों के सामने रख सकूँ ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उनको पढ़ और समझ सकें|
दिसंबर 26, 2010
खान - पान
काश तुम पृथ्वी की सुवास पर निर्भर और अमरबेल की भाँति केवल किरणों पर जीवित रह सकते|
लेकिन क्योंकि पेट भरने के लिए तुम्हे हिंसा करना और प्यास बुझाने के लिए नवजात बछड़े से उसकी माँ का दूध लूटना ही पड़ता है तो वह कार्य प्रभु की पूजा के रूप में करो , अपने थाल को बलिवेदी समझो|
किसी जीव को हलाल करते समय उससे अपने मन में कहो-
" जो शक्ति तुम्हारा वध कर रही है, उसी ने मुझे भी मार रखा है और मुझे भी खाया जायेगा, क्योंकि जिस कानून ने तुम्हें मेरे हाथों में सौंपा है, वो मुझे और भी शक्तिशाली हाथों में सौपेंगा|"
- खलील जिब्रान
दिसंबर 09, 2010
वस्त्र
तुम्हारे वस्त्र तुम्हारे बहुत से सुन्दर अंश को छिपा लेते हैं, लेकिन असुन्दर को नहीं| हालाँकि तुम वस्त्रों में अपनी गुप्तता की आज़ादी खोजते हो, लेकिन तुमको प्राप्त होते हैं बंधन और बाधा|
काश धूप और वायु से तुम्हारा मिलन तुम्हारी त्वचा द्वारा अधिक होता और वस्त्रों द्वारा कम| क्योंकि जीवन के प्राण सूर्य के प्रकाश में हैं और जीवन के हाथ हवा के झोंकों में हैं|
भूलो मत की मलिन मन की आँखों के सम्मुख लज्जा ढाल के सामान है| और जब मलिन मन ही न होंगे, तब लज्जा केवल एक बेडी और विकृत करने वाली वस्तु के सिवा क्या होगी?
और भूलो मत की धरती तुम्हारी नंगी पग-तलियों का स्पर्श पाकर प्रसन्न होती है और पवन तुम्हारे केशों से अठखेलियाँ करना चाहता है|
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