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सितंबर 30, 2013

चेहरे



मैंने हजारों आकृति वाला एक चेहरा देखा है और ऐसा चेहरा भी देखा है जिसका एक ही रुख था, जैसे वह साँचे में ढला हो ।

मैंने एक चेहरा देखा है जिसकी चमक की तह में मैंने उसके भीतर की  कुरूपता  पाई थी, और ऐसा चेहरा देखा है जिसकी खूबसूरती देखने के लिए मुझे उसकी दमक का परदा उठाना पड़ा था ।

मैंने एक बुढा चेहरा देखा है, जो शून्यता की रेखाओं से परिपूर्ण था और मैंने ऐसा चिकना चेहरा भी देखा है, जिस पर सब चीजें खुदी हुई थीं ।

मैं इन सब चेहरों से अच्छी तरह वाकिफ हूँ, क्योंकि मैं उन्हें उस जाल के भीतर से देखता हूँ जो मेरी आँखें बुनती है और उनके असली रूप को पहचान लेता हूँ ।

- खलील जिब्रान