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मई 25, 2011

देवरूप



"यदि तुम अहंभाव, जाति और देश के बंधन से एक हाथ भी ऊपर उठ सको, तब तुम अपने को देवरूप में पाओगे|"
                                                             - खलील जिब्रान   


6 टिप्‍पणियां:

  1. मन में ज्ञान- ज्योति जलाता हृदयग्राही विचार !
    आभार!

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  2. जाति और देश के बंधन से ऊपर कोई उठ भी जाये पर अहं फिर फिर नीचे ले आता है, एक हाथ तो क्या एक इंच भी उठ गए तो हमारा काम बन जायेगा....आभार!

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  3. बिल्‍कुल सच कहा है ..

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  4. इमरान जी आपका ये प्रयास अनूठा है ...!!अब तक पता नहीं क्यों पकड़ में नहीं आया ..!!खैर ..देर आये दुरुस्त आये ...!!बधाई आपको इस प्रयास के लिए ...!!

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...