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सितंबर 12, 2011

दान


आत्मदान करना ही वास्तविक दान है| 
जो लोग खुश होकर दान करते हैं, तो यही ख़ुशी उनका पुरस्कार है|
 ऐसे ही दाता की वजह से परमात्मा का सन्देश सुनाई देता है |
 संसार में ऐसा क्या है ?.........जिसे तुम अपने लिए बचाकर रखना चाहते हो |
                                                                     
                                                              - खलील जिब्रान 


9 टिप्‍पणियां:

  1. वाह ....बहुत बढि़या ...।

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  2. और संसार अगर मिल भी जाए,तो उसे रखोगे कहां!

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  3. Sansaar mein aisa kuchh bhi nahin jise hum bacha kar rakh sakte hain... maut ke baad apne naam bhi to auron ke liye chhod diya karte hain hum... Bahut hi prerak aur gyanvardhak prastuti.. Aabhar..

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  4. इमरान जी, भावुक और पागल हुए बिना कवि हुआ जा सकता है क्या ? आत्मदान करने के लिए पहले आत्मा भी तो अपने पास होनी चाहिए न... दाता को जो खुशी मिलती है वही उसका पुरस्कार है.. सही कहा है. आप पुरस्कार तथा कि को ठीक कर लें यदि सम्भव हो तो..आभार !

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  5. Nice post. Thanks for providing details about Khalil Zibran.

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  6. Bhai irfan ji aapka khaleel zibran se itna prem aap ke bare men sab kuch bata deta hai. Aap bahut nek kaam kar rahe hain allah aapko aur hausla ata kare

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  7. बहुत सुन्दर ....लाजबाब ..

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...