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नवंबर 21, 2011

दर्द


दर्द उस खोल का टूटना है, जो तुम्हारी समझ को घेरे रहता है | अपने दर्द के काफी अंश को तुम खुद चुनते हो |
                                           
  - खलील जिब्रान

9 टिप्‍पणियां:

  1. अपने दर्द के काफी अंश को तुम खुद चुनते हो ..बिल्‍कुल सच कहा है ... बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  2. hamari samajh ko gher rakhna hi behatar hai varna dard ke bina jivan bhi to nahi

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  3. हर दर्द हमारे खुद के चुनाव से आता है...और हमारी नासमझी का ही सबूत है...बहुत सही कहा है खलील जिब्रान ने इस सुंदर सूत्र में. आभार!

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  4. सत्य वचन .... समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
    http://mhare-anubhav.blogspot.com/2011/11/blog-post_20.html

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  5. कई बार पढ़ गयी...!.
    सही कहा है...
    अपने दर्द के जिम्मेदार हम खुद होते हैं...!!

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  6. खलील जी बहुत सही कहा आपने दर्द क के काफी अंश हम खुद चुनते है बहुत ही सुंदर
    मेरे ब्लॉग में स्वागत है

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  7. बहुत रोचक और सुंदर प्रस्तुति.। मेरे नए पोस्ट पर (हरिवंश राय बच्चन) आपका स्वागत है । धन्यवाद ।

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...