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जून 29, 2013

सुन्दरता और कुरूपता



एक दिन सुन्दरता और कुरूपता की समुद्र के किनारे मुलाक़ात हुई । दोनों ने एक  दूसरे से कहा "आओ समुद्र में स्नान करें"

दोनों ही अपने -अपने कपडे उतार के समुद्र में तैरने लगीं ।

थोड़ी देर में कुरूपता किनारे पर आई और सुन्दरता के कपड़े अपने बदन पर सजाकर चलती बनी । जब सुन्दरता समुद्र से बहार आई तो उसने देखा कि उसके कपड़े गायब थे । नग्न रहने में उसे शर्म महसूस हुई तो उसने हारकर कुरूपता के कपड़े पहन लिए और अपनी राह ली ।

आज तक संसार के लोग कुरूपता को सुन्दरता और सुन्दरता को कुरूपता समझने कि भूल कर रहे हैं ।

फिर भी कुछ लोग ऐसे हैं जो सुन्दरता के चेहरे से परिचित हैं और उसके बदले हुए कपड़ों में भी उसे पहचान लेते हैं और कुछ ऐसे भी हैं जो कुरूपता को पहचानते हैं और उनकी आँखों से उसका सच्चा स्वरुप छुपा नहीं रह पाता  ।

- खलील जिब्रान   

12 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी यह उत्कृष्ट रचना कल दिनांक 30 जून 2013 को http://blogprasaran.blogspot.in/ ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है , कृपया पधारें व औरों को भी पढ़े...

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया शालिनी जी हमारे ब्लॉग की पोस्ट को यहाँ शामिल करने का।

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  2. सही बात है ।इसिलये आदमी जैसा दीखता हे वैसा होता नहीं है।

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  3. सही बात है ।इसिलये आदमी जैसा दीखता हे वैसा होता नहीं है।

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  4. जो पहचान ले वह मुक्त रहता है नहीं तो फंस जाता है एक दुश्चक्र में मानव..सुंदर बोध कथा..

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  5. आप सभी लोगों का बहुत बहुत शुक्रिया ।

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  6. सुंदर संदेश।बहुत सटीक बात कही..

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  7. बेनामीजुलाई 08, 2013

    बहुत बढ़िया लिखा है आपने,
    खलील जिब्रान की कहानियां सच में बहुत अलग सी होती है , शुक्रिया शेयर करने के लिए !
    आप हमारे फोरम पर भी अपने लेख पोस्ट करने के लिए आमंत्रित है, आपका इंतज़ार रहेगा !
    आशा करता हूँ कि जल्दी ही आपसे फोरम पर मुलाकात होगी ! :)
    Ladies Mantra Forum

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