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दिसंबर 06, 2011

दोस्त


तुम्हारा दोस्त तुम्हारी ज़रूरतों का जवाब है, वह तुम्हारी फसल है , जिसे तुम बड़े प्रेम से बोते हो और बड़े प्रेम से काटते हो | वह तुम्हारे भोजन का थाल है और तुम्हारा अपना घर है | क्योंकि तुम अपनी भूख लेकर उसके पास पहुँचते हो और अपने आराम के लिए उसी को तलाशते रहे हो |


जहाँ दोस्ती है, वहाँ शब्दों का इस्तेमाल किये बिना ही सारे विचार, सारी कामनायें और सारी आशायें जन्म लेती हैं और ख़ुशी-ख़ुशी बाँट ली जाती हैं | एक दुसरे की वाह-वाही किये बिना ही|

अगर कभी अपने दोस्त से बिछड़ना पड़े तो शोक मत करो क्योंकि उसकी जिन बातों को तुम सबसे ज्यादा पसंद करते हो, वो उसके न होने पर स्पष्ट हो जाएँगी | स्नेह को बढाने के अलावा अपनी दोस्ती का और कोई उद्देश्य मत होने दो |

वह दोस्त किस काम का हुआ ? जिसे तुम सिर्फ वक़्त काटने के लिए तलाश करो, उसे हमेशा अपने पूरे वक़्त को जीने के लिए तलाश करो | क्योंकि दोस्ती तुम्हारी ज़रुरत को पूरा करने के लिए है, तुम्हारे खालीपन को भरने के लिए नहीं | 

दोस्ती की मिठास में अपनी मुस्कुराहटों को बांटो और अपनी खुशियों को शामिल होने दो | क्योंकि इन्ही छोटी-छोटी खुशियों में दिल को अपनी सुबह मिल जाती है और वह ताजगी महसूस करने लगता है |
                                                                    
                                                                           - खलील जिब्रान

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही सार्थक व गहन विचार ... ।

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  2. बेनामीदिसंबर 07, 2011

    मेल के द्वारा प्राप्त टिप्पणी -

    दोस्ती इतनी सुंदर भी हो सकती है...आज खलील जिब्रान को पढ़कर पता चला.. बहुत प्रेरक और रोचक पोस्ट!

    - अनीता

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  3. बेजोड़ भावाभियक्ति....

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  4. जीवन में उतारने योग्य उत्तम विचार !
    आभार !

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति । मेरे मए पोस्ट नकेनवाद पर आप सादर आमंत्रित हैं । धन्यवाद |

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  6. सार्थक आलेख..इन लोगों के विचारों को दूसरों के लिए प्रस्तुत करने का आपका विचार सराहनीय है.

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...