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अप्रैल 25, 2012

मिट्टी



बड़ी शानो शौकत और वैभव के साथ मिट्टी मिट्टी में से जन्म लेती है । फिर यह मिट्टी बड़े गर्व और अभिमान से मिट्टी के ऊपर चलती फिरती है ।

मिट्टी मिट्टी से राजाओं के लिए राजभवन और धनवानों के लिए ऊँची ऊँची मीनार और सुन्दर सुन्दर भवनों का निर्माण करती है । वह अदभुत पुराण - कथाओं के ताने बाने बुनती है, कठोर नियम-कानून बनाती है और जटिल सिद्धांतों की रचना करती है।

जब यह सब कुछ हो चुकता है तो मिट्टी मिट्टी के श्रम से उकताकर अपने प्रकाश और अँधेरे में से काली-काली भयानक छायाओं, कोमल-कोमल सूक्ष्म कल्पनाओं और मनमोहक मधुर-मधुर सपनो की सृष्टि करती है ।

फिर मिट्टी की नींद हारी थकी मिट्टी की बोझिल पलकों को फुसलाती है । तब मिट्टी गहरी और शांत नींद में संसार की सब वस्तुओं को अपनी पलकों में बंद कर लेती है ।

और मिट्टी मिट्टी को संबोधन करके कहती है, "देख, मैं ही तेरा आदि और मैं ही तेरा अंत हूँ और सदा तेरा आदि और अंत मैं ही रहूँगी - जब तक की सितारों का अंत न हो जाए और चाँद और सूरज जल-बुझकर रख का ढेर न हो जाएँ ।" 

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही गहन भाव लिए 'मिट्टी' पढ़ना अच्‍छा लगा ..प्रस्‍तुति के लिए आभार ।

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  2. माटी कहे कुम्हार सन तू क्या रोंदे मोहे
    एक दिन ऐसा होएगा मैं रोंदूंगी तोहे......!!

    जीवन का अमित सत्य...!

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    1. बेनामीअप्रैल 26, 2012

      बहुत शुक्रिया पूनम दी.....सच यही अंतिम सत्य है ।

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  3. मिट्टी की यह देह मिट्टी में ही मिल जानी है, इसलिए जब तक हैं इस मिट्टी पर ऐसा कर्म करें जो मिट्टी में मिलाने लायक न हों।

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    1. बेनामीअप्रैल 26, 2012

      बहुत शुक्रिया मनोज जी .......हाँ जहाँ तक संभव हो सके ऐसा ही करना होगा।

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  4. खलील जिब्रान ने इस आख्यान में मानव के मरणधर्मा जीवन का वर्णन कितने कलात्मक ढंग से किया है...हम जन्मते है, निर्माण करते हैं, स्वप्न देखते हैं, अपनी ही कल्पनाओं से कभी उदास कभी खुश होते हैं और एक दिन मर जाते हैं पुनः इसी चक्र में आने के लिये..बहुत सुंदर पोस्ट!

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    1. बेनामीअप्रैल 26, 2012

      बहुत शुक्रिया अनीता जी .......जिब्रान साहब का गहन दर्शन एक वर्तुल है मिट्टी से निकलकर फिर मिट्टी में जाना है ।

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  5. सच बात ...मिट्टी से ही जन्मे ...मिट्टी में मिल जाना है ....
    सार्थक अभिव्यक्ती ....

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    1. बेनामीअप्रैल 26, 2012

      बहुत शुक्रिया अनुपमा जी |

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  6. रखें लाज मिट्टी की हम
    कि न होना पड़े मटियामेट

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  7. बहुत ही प्रभावित करती पक्तियां । मेरे नए पोस्ट अमीर खुसरो पर आपका इंतजार रहेगा । धन्यवाद ।

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जो दे उसका भी भला....जो न दे उसका भी भला...