खलील जिब्रान विश्व के महान दार्शनिक,लेखक, चित्रकार और कवि हैं| उनकी रचनायें सारी दुनिया के लोगों के लिए एक अमूल्य धरोहर है|अंधविश्वासों और आडम्बरों के सख्त विरोधी खलील जिब्रान एक महान विचारक थे|इस ब्लॉग के ज़रिये मेरी एक छोटी सी कोशिश की मैं उनके अमूल्य विचारों को सरल भाषा में लोगों के सामने रख सकूँ ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग उनको पढ़ और समझ सकें|
बहुत बढिया।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया सदा जी।
हटाएंवाह ! लोमड़ी तो चूहे से संतोष कर लेगी, पर मानव की लालसा का तो कोई अंत नहीं..सारी धरती का साम्राज्य भी कोई पा ले तो भी उसको तृप्ति नहीं होती..अहंकार जब प्रबल होता है तो मांग भी बड़ी होती है, फिर जब अहंकार टूटता है तो जो मिल जाये उससे ही काम चलाना पड़ता है...
जवाब देंहटाएंशुक्रिया अनीता जी.....सही कहा आपने सब अहंकार का ही खेल है ।
हटाएंहाहा, बहुत अच्छे! अबोध मन बाहरी स्तिथियों से ही स्वयं के लिए आंकलन करता है... ज्ञान ही अंतर्दृष्टि दे सकती है...
जवाब देंहटाएंसादर
सादर
शुक्रिया मधुरेश जी.....सही कहा आपने सिर्ग ज्ञान ही अंधकार से बहार निकालता है ।
हटाएंhttp://vyakhyaa.blogspot.in/2012/09/blog-post_16.html
जवाब देंहटाएंखलील जिब्रान की पोस्ट यहाँ शमिल करने के लिए और उस पर इतनी सुन्दर व्याख्या के लिए दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आपका ।
हटाएंदोपहर होते-होते लोमड़ी को भी होश आ जाता है। मगर आदमी है कि बेहोशी में ही ज़िंदगी की शाम हो जाती है।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपका....सही कहा आपने....जिब्रान जैसे लोग जगाने के लिए ही आते हैं दुनिया में ।
हटाएंबहुत सुंदर सीख ...
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